ReadRoj

Hindi Blog And Articles Platform

जादुई और चमत्कारी हाबूर पत्थर का रहस्यमय राज

चमत्कारी हाबूर पत्थर क्या है? हाबूर पत्थर क्या है, चमत्कारी हाबूर पत्थर के संपर्क में आने से दूध से दही बन जाता है!

दही जमाने के लिए जामन ढूंढ़ते अक्सर महिलाओं को देखते होंगे। कभी कटोरी लेकर पड़ोसी के यहाँ या फिर बाजार से थोड़ा सा दही ले कर आते हैं, ताकी दही जमा सकते हैं। लेकिन क्या आप ने सोचा है कि कोई पत्थर भी दही जमा सकता है। जि हाँ राजस्थान के जैसलमेर जिले के एक गाँव ऐसा भी है, जहाँ के लोग जादुई पत्थर की मदद से दही जमाते हैं। यहाँ के स्थानिय लोगों के पास लाखों वर्षों पुराना जादुई पत्थर है, जिसके संपर्क में आते ही दूध, दही बन जाता है। इस रहस्यमयी पत्थर पर अनेकों बार रिसर्च हो चुकी है। पर पत्थर के अनसुलझी पहेली आज भी पहेली ही है। हाबूर गाँव के आस-पास के क्षेत्र के भूगर्भ से निकलने वाले इस पत्थर में विभिन्न प्रकार के खनिज और जीवाश्मों पाये जाते हैं, जो इस पत्थर चमत्कारी और जादुई बनाते हैं। तो आइए जानते हैं उस गाँव के बारे में जहाँ जादुई पत्थर से दही जमाया जाता है।

कहाँ है हाबूर गाँव – राजस्थान के जैसलमेर से लगभग 40 किलोमीटर की दूर पर हाबूर नामक एक गाँव है। इस गाँव को लोग स्वर्णगिरी के नाम से भी जानतें हैं। हाबूर गाँव को वर्तमान में पूनमनगर नाम से जाना जाता है। इसी गाँव हाबूर नामक जादुई पत्थर पाया जाता है, स्थानिय लोग इस जादुई पत्थर को स्थानीय भाषा में हाबूरिया भाटा कहते हैं। यह गाँव रहस्यमयी और जादुई पत्थर की वजह से विश्व प्रसिद्ध है।

चमत्कारी हाबूर पत्थर

हाबूर पत्थर क्या है जैसलमेर विभिन्न प्रकार के पत्थरों लिए प्रसिद्ध है, यहाँ के पीले पत्थर विश्व भर में अपनी एक अलग ही पहचान बना चुके है। लेकिन हाबूर गाँव इस रहस्यमयी पत्थर अपने आप में कई अनसुलझी पहेली समेटे हुए है। हाबूर पत्थर हल्के सुनहरे चमकीले और बेहत खूबसूरत होते हैं। हाबूर पत्थर में दूध को दही बनाने की एक विशेष जादुई शक्ति है। हाबूर पत्थर के संपर्क में आते ही एक रात में दूध से दही बन जातें हैं। अलग-अलग रिसर्च में ये पाया गया है कि हाबूर पत्थर में एमिनो एसिड, फिनायल एलिनिया, रिफ्टाफेन टायरोसिन सारे कैमिकल मौजूद हैं। जिसके कारण दूध को दही जमने में सहायक प्राप्त होते है। हाबूर पत्थर में जमा दही बहुत ही मीठे स्वाद के साथ-साथ खुशबू वाला भी होता है। यहाँ के स्थानिय लोग आज भी दूध से दही जमाने के लिए इसी रहस्यमय पत्थर का ही उपयोग करते हैं। इन पत्थरों के बर्तनों में जमा दही और उनसे बनी लस्सी पयर्टक खुब पसंद करते हैं। यहाँ मिलने वाले पत्थरों से बर्तन, मूर्ति और खिलौने आदि बनाए जाते हैं। इस पत्थर से बने गिलास, प्लेट, कटोरी, प्याले, ट्रे, मालाएं, फूलदान, कप, थाली, मूर्तियां और खिलौने पुरे विश्व में अपनी एक अलग ही लोकप्रियता बनाए हुए है।

क्या है इतिहास – ऐसा माना जाता है, कि जैसलमेर और इसके आस-पास के क्षेत्र तेती नाम के समुद्र हुआ करता था। तेती सागर (टेथीज सागर) के सूखने से कई समुद्री जीव धिरे-धिरे जीवाश्म बन गए और पहाड़ों के रूप निर्माण हुआ। इन पत्थरों का गठन 180 मिलियन वर्ष पहले समुद्र के खोल से हुआ था। इन पहाड़ों में पाये जाने वाले पत्थरों में कई प्रकार के खनिज और विभिन्न प्रकार जीवाश्म पाये जाते हैं। इन पत्थरों से बनने वाले बर्तन, मूर्ति और खिलौने इन ही खूबियों के कारण देश-विदेश में काफी डिमांड है।

क्या है हाबूर पत्थर के औषधीय गुण – ऐसा माना जाता है कि अगर इस चमत्कारी पत्थर से बने गिलास में पानी भरकर रात को सोने के समय रख दो और सुबह-सुबह खाली पेट पी लो। अगर आप प्रतिदिन एक से दो महीने तक इस पानी का सेवन करेंगे तो आप अपने शरीर में एक नई ऊर्जा महसूस करने लगेंगे। अगर आप हाबूर पत्थर से बने बर्तनों का उपयोग करते हैं, तो मधुमेह,रक्त प्रवाह, जोड़ों का दर्द, पाइल्स जैसी बीमारी पर नियंत्रित प्राप्त कर सकते हैं। हाँ यह कोई आयुर्वेदिक औषधी नहीं है। और न ही आयुर्वेदिक ग्रन्थों में हाबूर पत्थर के बारे में बताया गया है।

यह पत्थर हल्का सुनहरा चमकीले और पीले रंग के होते हैं। इसलिए इन पत्थरों से बने बर्तन, मूर्ति और खिलौने देश-विदेश के पर्यटकों की खास पसंद होते हैं। यहाँ की दुकानों से पर्यटक अपनी पसंद के सामान को खरीद कर अपने साथ ले जाते हैं। इस पत्थर से बने बर्तन, मूर्ति और खिलौनों की ऑनलाइन बिक्री भी होती है। हाबूर पत्थर से बने बर्तनों की डिमांड कीमत लगभग 500 से 5000 तक की है।

Updated: May 13, 2023 — 2:51 am

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ReadRoj © 2024 Frontier Theme
Skip to toolbar