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विश्वास और भक्ति की कहानी कहता बैजनाथ महादेव का मंदिर

विश्वास और भक्ति की कहानी कहता बैजनाथ महादेव का मंदिर

भारतीयों के विश्वास और भक्ति को पश्चिमवासी अक्सर अंधविश्वासी शब्द से सम्बोधित करते हैं। लेकिन अनेक बार भारतीयों के विश्वास के आगे पश्चिमवासियों के तर्क पानी भरते नज़र आते हैं और वे सवयं भी उनके विश्वास के आगे नतमस्तक होते हुए नज़र आते हैं। यह विश्वास और श्रद्धा की एक ऐसी कहानी है, यह कहानी मध्य प्रदेश के आगर-मालवा जिले में स्थित बैजनाथ महादेव के मंदिर की है।

क्या है यह कहानी

बात 1879 की है जब भारत पर अंग्रेजों का शासन था। अंग्रेज़ भारतियों की श्रद्धा और भक्ति का उपहास उड़ाते थे। उनकी नज़रों में भौतिकता ही इस लोक का सबसे बड़ा ध्येय था और भारतीयों के धार्मिक तत्व अंग्रेजों को भारतीयों की अज्ञानता का परिणाम नज़र आते थे। ऐसे ही अंग्रेज़ी सेना की आगर – मालवा छावनी में मार्टिन दम्पत्ति रहते थे। मार्टिन सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर थे। अंग्रेज़ी सेना अपने साम्राज्यवादि उद्देश्य की पूर्ति हेतु अफ़ग़ानिस्तान तक पहुँच गयी। लेकिन वहाँ अफ़ग़ानी पठानों के सामने उनकी दाल नहीं गली। अफगानियों को जितने के लिए मार्टिन को बुलाया गया। जाते जाते मार्टिन ने अपनी पत्नी को यह आश्वासन दिया कि वे युद्ध क्षेत्र से प्रतिदिन लेडी मार्टिन को पत्र लिख कर अपनी कुशल क्षेम कहेंगे।

भारतीय इतिहास के कुछ रोचक तथ्य

युद्ध क्षेत्र से मार्टिन प्रतिदिन अपनी पत्नी को पत्र लिख कर अपनी कुशलता की समाचर देते थे। जैसे जैसे युद्ध गहराता चला गया मार्टिन के पत्र आने कम हो गए, यहाँ तक कि बन्द ही हो गये। लेडी मार्टिन पर तो मानो दुखों का पहाड़ ही टूट पड़ा।

शिव की शरण

युद्ध क्षेत्र से पति के कुशल क्षेम के समाचर आने बन्द होने से लेडी मार्टिन का मन अनहोनी की आशंकाओं से घबराने लगा। ऐसी ही परिस्थिति में एक दिन घुड़सवारी करते वक़्त उनके कानों में मन्त्रोच्चारण की ध्वनि सुनाई पड़ी। जिज्ञासा और सहारे की उम्मीद में जब मार्टिन उस ओर गयीं तो वंहा उन्होंने देखा कि कुछ ब्राह्मण शिवलिंग का अभिषेक कर रहे हैं। इसके पूर्व भी लेडी मार्टिन ने भारतीयों के विश्वास के किस्से सुन रखे थे। कोई और उपाय न देख कर लेडी मार्टिन ने ब्राह्मणों के सामने अपनी समस्या रख दी। तब ब्राह्म्णों ने उन्हें 11 दिन का लघुरुद्री अनुष्ठान करने की सलाह दी।

शिव की कृपा

अनुष्ठान के ग्यारहवें दिन लेडी मार्टिन के नाम का एक सन्देश आया। जब लेडी मार्टिन ने उस पत्र को खोला तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह पत्र उनके पति का ही था।

लेकिन क्या हुआ था उस दिन अफ़ग़ानिस्तान में

मन्दिर प्रांगण में लिखे एक लेख के अनुसार मार्टिन ने अपनी पत्नी को लिखे एक पत्र में बताया कि जैसे जैसे युद्ध आगे बढ़ता गया। अंग्रेजों की सेना कमज़ोर होती गयी। यहाँ तक कि एक दिन मार्टिन अपनी सेना से बिछुड़कर चारों ओर से अफगानी सैनिकों से घिर गए। उन्हें उनका अंत निकट दिखाई देने लगा, लेकिन तभी कोई व्यक्ति बड़ी ही फुर्ती से अफ़ग़ान सेना के घेरे को चीरता हुआ उनके पास आ गया। उसके पास तीन नोकों वाला कोई हथियार था। जिसे वो बड़ी ही कुशलता से अफ़ग़ान सैनिकों के विरुद्ध उपयोग कर रहा था। उसने अपने शरीर पर बाघ की चमड़ी भी ओढ़ रखी थी। उस व्यक्ति ने मार्टिन को सुरक्षित अपनी सेना के पास पहुंचा दिया।  उस दिन के बाद तो जैसे युद्ध का तख्ता ही पलट गया। हारे हुए अंग्रेज़ सैनिकों का आत्मविश्वास पुनः लौट आया और उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान के विरुद्ध उस युद्ध को जीत लिया।

कर्नल मार्टिन ने भी पहचाना शिव को

युद्ध क्षेत्र की इस घटना के वर्णन ने तो लेडी मार्टिन को शिव के आगे नतमस्तक कर ही दिया; लेकिन जब कर्नल मार्टिन युद्ध मे विजयी हो कर पुनः आगर पधारे तो लेडी मार्टिन की बात सुनकर उन्हें विश्वास न हुआ। लेकिन जब उन्होंने शिव रूप का वर्णन सुना तब उन्हें बड़ा ही आश्चर्य हुआ। क्योंकि शिव का यह रूप बिल्कुल उस व्यक्ति जैसा था। जिसने अफ़ग़ानिस्तान में उनके प्राणों की रक्षा की थी। इस घटना के बाद अंग्रेज़ी सेना में कर्नल के पद पर पदस्थ मार्टिन भी शिव के आगे नतमस्तक हो गए।

लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन से शिव भक्त मार्टिन

शिव की कृपा से अभिभूत लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन एवं उनकी पत्नी ने बाबा बैजनाथ मन्दिर के जीर्णोद्धार के लिए 15000 रूपये अर्पित करने का संकल्प लिया। पूरे भारतवर्ष में बेनगंगा नदी के किनारे स्थित यह मंदिर एक मात्र ऐसा मन्दिर है, जिसे अंग्रेजों द्वारा बनवाया गया है।

कैसे पहुंचे बाबा बैजनाथ के मंदिर

बाबा बैजनाथ का यह मन्दिर मध्यप्रदेश के आगर-मालवा जिले में स्थित है। बाबा बैजनाथ का यह मंदिर महाकाल की नगरी उज्जैन से मात्र 68 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ से आगर के लिए नानाखेड़ा बस स्टैंड एवं देवास गेट बस स्टैंड से बस सुविधा उपलब्ध है।

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