प्रसिद्ध हम्पी गाँव और विजयनगर की मंदिर भव्यता का इतिहास
हम्पी भारत के कर्नाटक में बैंगलोर से 340 किमी और हैदराबाद से 377 किमी दूर स्थित है। हम्पी मध्यकालीन 14वीं शताब्दी के हिंदू राज्य विजयनगर साम्राज्य की राजधानी थी। तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित यह नगर लगभग 26 किलोमीटर में फैले है। किसी समय में यहाँ सभ्यता निवास करती होगी, जो तुंगभद्रा नदी और पत्थरीले ग्रेनाइट के पहाडों के घेरे से सुरक्षित थी। हम्पी का इतिहास चाल्कोलिथिक और नवपाषाण युग के अलावा 3री शताब्दी से साम्राज्य अशोक की शिलालेखों का भी वर्णन है।
यहां के घाटियों और टीलों के बीच पाँच सौ से भी प्रशंसनीय स्मारक चिह्न हैं। एक पत्थर से बनी देवी लक्ष्मी, नरसिंह और गणेश मूर्तियां अपनी विशालता और भव्यता को दर्शाती है। यहाँ कृष्ण मंदिर, पट्टाभिराम मंदिर, हजारा राम चंद्र, चंद्र शेखर मंदिर, विरुपक्ष मंदिर, अच्युत राय के मंदिर, रॉयल केंद्र, महानवमी डिब्बा, ग्रनारीस, हरिहर पैलेस वीरा, रिवरसाइड खंडहर, विट्टल मंदिर, करैले क्रॉसिंग, जज्जल मंडप, पुरंदरदास मंडप, तालरिगट्टा गेट और जैन मंदिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र के रूप में दर्शाती है।
हम्पी में स्थित विठ्ठल मंदिर विजय नगर शैली का एक उदाहरण है। कमल महल यहां के ऐश्वर्य कहानी कहती हैं। मंदिरों की संरचना, वास्तुकला और मंदिर का आसपास का प्राकृतिक दृश्य यहां आने वाले पर्यटकों के बीच प्रशंसनीय स्थलों में से एक है। यहाँ की स्तंभों को थपथपाने पर उनमें से संगीत लहरियाँ निकलती है। यहाँ की आध्यात्मिक कलाकृतियाँ रामायण और महाभारत काल दर्शाती है।
प्राचीन स्थानीय लोगों और लोककथाओं के अनुसार किष्किन्दा राज्य था, जहाँ वानर राज बाली, सुग्रीव और हनुमान रहा करते थे। विश्व ख्याति हम्पी यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित और खास ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। सन 1800 में कर्नल कोलिन मच्केंजि द्वारा हम्पी के खंडहरों की खोज की गई थी। कृष्णादेवराय की मृत्यु के बाद पांच बहमनी सुलतान बहेलियों ने मिलकर म्पी को नष्ट कर दिया। मुस्लिम सुल्तानों के हमलों कारण दसवीं सदी के दक्षिण भारत का इतिहास हमें धुंधले -धुंधले से दिखते हैं।
हेमकुटा मंदिर समूह सुनहरा पहाड़ी हेमकुता पर स्थित है। यहाँ विभिन्न प्रकार के प्राचीन मंदिरों का समूह है। हेमकुटा समूह विरुपक्ष मंदिर के निकट ही है। हेमकुटा ऐतिहासिक के साथ-साथ धार्मिक तीर्थयात्रा के लिए भी जाना जाता है। प्राचीन वास्तुकला और प्राकृतिक के अनमोल खूबसूरती पर्यटकों को मंत्रमुग्ध करते हैं।
विजय विट्ठल मंदिर तुंगभद्र नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है। यहाँ के स्टोन रथ और स्तंभों अपने आप में अद्वितीय है। यहाँ बने स्तंभों से सातों सुरों की ध्वनियाँ निकलती हैं। विट्ठल मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यहाँ आकर पर्यटक जटिल नक्काशियां और वास्तुकला से प्रभावित हो जाते हैं। यह मन्दिर सुबह 8:30 बजे से शाम 5:30 तक खुला रहता है।
श्री विरूपक्षा मंदिर हम्पी का सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण मंदिर है। यह भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर की विशेषता यहाँ का शिवलिंग है जो की दक्षिण ओर झुका हुआ है। इस मंदिर का निर्माण कल्याणी के चालुक्य शासक विक्रमादित्य2 ने करवाया था। इस मंदिर को पंपपति मंदिर भी कहा जाता है। मंदिर की दीवारों पर रावण और भगवान शिव को दर्शाए गए हैं। यहाँ प्राचीन भारत की धार्मिक सुगंध अब तक हवाओं में है, इसलिये धार्मिक पर्यटकों के प्रमुख केंद्रों से एक है।
कृष्णा मंदिर हम्पी के मंदिरों के समूहों में से एक है। कृष्णा मंदिर यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्मारकों के हिस्से के रूप में सूचीबद्ध है। कृष्णा मंदिर का निर्माण 1513 ईस्वी में कृष्णदेवराय ने किया था। मंदिर में स्थापित मुख्य मूर्ति बाला कृष्ण का चित्र था और अब वह चेन्नई के संग्रहालय में है। मुख्य मंदिर में एक अभयारण्य, महा-मंडप, अर्धा-मंडप, एक स्तंभित मंडप, एक देवी मंदिर और कई उप मंदिर भी हैं। मंदिर के नक्काशीदार स्तंभों पर्यटकों को प्राचीन भारत कि झलक दिखलाती है।
हजारा राम मंदिर हम्पी के मुख्य मंदिर में से एक है। यह सुंदर मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यहां भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापित भी है। मंदिर की बाहरी दीवारों पर नक़्क़ाशियां रामायण काल को दर्शाती है, जो इस मंदिर को खास बनाती है। मंदिर के स्तंभ काले पत्थर हैं, जो पर्यटकों के लिये अद्वितीय है। पट्टाभीराम मंदिर भगवान राम को समर्पित है। माना जाता है कि विजयनगर साम्राज्य के दौरान भक्तों के लिए पट्टाभीराम मंदिर प्रमुख धार्मिक स्थल था। यह मंदिर अपने जटिल और प्राचीन वास्तुकला के लिए जाना जाता है। यह मंदिर विजयनगर के शासकों द्वारा निर्माण है।
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