समय यात्रा विज्ञान का एक बहुत ही विवादास्पद और आकर्षक विषय है, क्या यह संभव या असंभव है? अगर यह सच में संभव है तो आप समय समय यात्रा करके भूतकाल या भविष्य किस समय में जाना पसंद करेंगे ? मैं तो भूतकाल जाना पसंद करूंगा। समय यात्रा की किस्से कहानियां है जो समय यात्रा को सही बताती है और हम समययात्रा की कल्पनाओ में खो जाते हैं। समय यात्रा की कल्पना भी भारतीय धर्मग्रंथों से प्रेरित है। हिन्दू धर्मग्रंथों देवता समय यात्रा करते थे, और प्राचीनकाल में ऋषि मुनि भी। उदाहरणा के लिये देवर्षि नारद उल्लेख सभी ग्रंथों में है, है जो समय यात्रा कर विशाल ब्रह्माण्ड का भ्रमण करते हैं। वेद और पुराणों में ऐसी कई कहानियों का जिक्र है। ये उल्लेख भविष्य के लिए समय यात्रा की संभावनाओं के दरवाजे को खोलती है। भारतीय धर्मग्रंथ वैज्ञानिक सोच विकसित करने के साथ–साथ नए–नए विचार और नई–नई खोज का प्रमुख अध्ययन केन्द्र रहा है। समय यात्रा के बारे में हिन्दू धर्मग्रंथों के अलावा अलग–अलग सभ्यताओं में भी वर्णन मौजूद है। प्राचीन काल कुछ ऐसे प्रमाण आज भी पृथ्वी पर मौजूद है।
समय की यात्रा को लेकर सभी वैज्ञानिक एक मत नहीं है। कुछ का मानना था की समय यात्रा की एक काल्पनिक कहानी मात्र है तो कुछ वैज्ञानिकों का मानना था कि सम्भव है तथा भविष्य में हम विज्ञान औऱ तकनीकी क्षेत्र में इतना विकास कर लेगा की आसानी से भूतकाल औऱ भविष्यकाल का यात्रा सकेंगे।
समय यात्रा का सिद्धांत
- महान वैज्ञानिक न्यूटन के अनुसार पूरे ब्रह्माण्ड में समय एक गति से चलता है।न्यूटन ने समय को एक तीर के समान माना था जिस तरह तीर के एक बार छूट जाने पर उसे वापस नहीं लौटाया जा सकता सिर्फ एक ही दिशा में चलेगा। अर्थात समय के बीत जाने पर उस समय में वापस नहीं जा सकतें हैं। अर्थात यह एक कल्पना मात्र है।
- महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन सिद्धांतों के अनुसार असल में समय यात्रा संभव है।अल्बर्ट आइंस्टीन ने विशेष सापेक्षता नामक सिद्धांत विकसित किया। यह सिद्धांत कहता है कि प्रकाश कि गति यात्रा करते हैं, तो समय आपके लिए धीमा हो जाएगा। यह अनुमान भी है 1 दिन के लिये आप प्रकाश कि गति से यात्रा करते हैं, तो 4 वर्ष बीत चुके होंगे और आप भविष्य में होंगे।
- निकोला टेस्ला एक रहस्यमय वैज्ञानिक माना जाता है। समय यात्रा की संभावना पर विश्वास करते थे। उन्होंने सन 1915 में एक सापेक्षता का सिद्धांत (theory of relativity) दी थी। इस सिद्धांत में समय और गति के बीच के संबंध को समझाया गया था। उन्होंने कहा था कि भूतकाल, वर्तमान और भविष्य तीनों को एक साथ देखा है। उन्होंने इससे संबंधित उन्होंने एक पुस्तक भी लिखी थी। टेस्ला के साथ काम करने वाले सहकर्मी ने दावा किया था कि टेस्ला समय यात्रा कर चुके हैं। ये गुत्थी आजतक लोगों के लिए एक रहस्यमयी विषय है।
- इक्कीसवीं सदी के महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का पहले मानना था कि यात्रा एक कल्पना मात्र है, फिर उनके विचार बदल गए उन्होंने और स्वीकार किया कि समय यात्रा प्रकृति के नियमो का उपयोग कर संभव है। हॉकिंग का मानना है कि मनुष्य चौथे आयाम माध्यम से पृथ्वी पर कुछ सालों में शायद समय यात्रा करने में सक्षम होंगे।
क्या समय यात्रा संभव या असंभव है?
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो समय यात्रा संभव है। कुछ अलग-अलग सिध्दांत के आधार पर संभवनाओं को प्रबल बनाता है। कई वैज्ञानिकों तथा भौतिक शास्त्रियों ने इस संभवनाओं के लिए अपने-अपने सिद्धान्त तथा विचार दिए।
प्रकाश की गति द्वारा – जब भी कोई वस्तु प्रकाश की गति से यात्रा करती है तो उस वस्तु के लिए समय बहुत धीमा हो जाता है, तो हम सापेक्षता के सिद्धांत आधार का पर समय यात्रा कर सकतें है। लेकिन सापेक्षता के सिद्धांत के अनुसार कोई भी वस्तु प्रकाश के गति के बराबर गति प्राप्त नहीं कर सकती है। अगर हम लोगों ने ऐसी मशीन बना भी ली जो प्रकाश की गति के बराबर गति प्राप्त कर सकता है, तो इसे ऐसी कोई ऊर्जा की स्रोत नहीं दे सकेंगे।
ब्लॉक होल के द्वारा – ब्लैक होल घनत्व तथा गुरुत्वाकर्षण बल बहुत अधिक होता है, इसी कारण समय धीमा होता है। इसके लिए हमें अंतरिक्ष के समय को समझना होगा। सरल भाषा में कहा जाए तो हम लम्बाई, चौड़ाई तथा ऊँचाई इन्ही तीन आयामों को समझतें हैं परन्तु वैज्ञानिक समय को चौथा आयाम मानते हैं। इन चारों आयामों के मिलने से बनता है अंतरिक्ष के समय। सापेक्षता के सिद्धांत के मुताबिक, जितना अधिक गुरुत्वाकर्षण बल लगता है, उतना ही अधिक समय को प्रभावित करती है। लेकिन बड़ी समस्या यह है कि ब्लैक होल का गुरुत्वाकर्षण बहुत अधिक होता है। इस समस्या का एक समाधान यह है कि हमें एन्टी ग्रैविटी अंतरिक्ष यान, जो आसानी से ब्लैक होल के चक्कर लगा कर समय को प्रभावित कर सकते हैं। हमें अधिक गुरुत्वाकर्षण बल वाला क्षेत्र की आवश्यकता होगी जैसे ब्लैक होल।
वार्म होल के द्वारा – सापेक्षतावाद के सिद्धांत के आधार पर अल्बर्ट आइंस्टीन और नाथन रोजन दोनों ने मिलकर गणितीय रूप को आधार दिया। उन्होंने ये सिद्ध किया कि ब्रह्माण्ड के किन्ही दो बिंदुओं के बीच शार्ट कट रास्ता सम्भव है, जो अंतरिक्ष और समय दोनों को कम कर देता है इसे वार्म होल कहते हैं। वार्म होल्स के समय दो बिंदुओं बीच पुल की तरह काम करने में सक्षम हो सकता है। अंतरिक्ष चार आयामों से मिलकर बना होता है, सभी आयामों में छोटे–छोटे छिद्र होते हैं, यह छिद्र परमाणु से भी लाखों गुना छोटे–छोटे होते हैं। जो समय की यात्रा संभव बना सकते हैं। अगर हम किसी तरह वार्म होल का उपयोग कर लिया तो हम समय के आगे या पीछे आ और जा सकते हैं। लेकिन बड़ी समस्या यह है की वार्म होल परमाणु से भी लाखों गुना छोटे और अस्थायी होते हैं। समय यात्रा करने के लिए इसे बड़ा और स्थाई बनाना होगा, ताकी हम आ और जा सकते हैं।
आज भी रहस्य है निकोला टेस्ला द्वारा किया हुआ “फिलाडेल्फिया एक्सपेरिमेंट”
विश्व युद्ध के दौरान नाज़ियों ने समुद्र में माइंस की जाल बिछा रखे थे। इन माइंस से अमेरिकी जहाजों को बचाने के लिए अमेरिकी नौसेना वैज्ञानिकों के साथ मिलकर कई तरह के प्रयोग कर रहे थे। इतिहासकारों द्वारा माना जाता है कि समुद्री जहाजों छिपाए जाने के तरीके खोजे जा रहे थे। अमेरिका नौसेना फिलाडेल्फिया एक्सपेरिमेंट प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे। 28 अक्टूबर 1943 को अमेरिका नौसेना ने डॉ फ्रैंकलिन रेनो के साथ मिलकर सर आइंस्टीन और निकोला टेस्ला के रिसर्च की मदद से एक प्रयोग किया था। बताया जाता है कि इस प्रयोग में 1200 टन वजनी युद्धपोत को गायब करने के लिय टेस्ला के ज़ीरो टाइम रेफरेंस जनरेटर का भी इस्तेमाल किया गया था। जहाज पर लगाए हुए जनरेटर की मदद से बिजली और बिजली की मदद से चुंबकीय क्षेत्र में बदलाव करना चाहती थी। कहा जाता है कि जैसे ही जनरेटर को चालू किया गया जहाज के आस-पास पानी में बुलबुले के साथ हरा धुआं निकलने लग गया। देखते-ही-देखते धुआं ने जहाज को ढक लिया और जहाज लोगों नजरों और रडार से भी गायब हो गया। जहाज से गायब होेते ही वैज्ञानिक खुश हो गए, लेकिन जहाज वापस लाने का प्रयोग सफल नहीं हुआ। कुछ समय बाद जहाज अमेरिकी नौसेना 300 किलोमीटर दूर वर्जीनिया में मिला। जब सैनिकों ने जहाज पर गये तो दिल दहला देने वाला भयानक नज़ारा था। कुछ सैनिक जहाज के मलबे में दब कर मर गये और कुछ सैनिक पागल हो गए थे। इस घटना को एक कहानी समझकर भुला दिया, लेकिन ये एक सच्ची कहानी थी, जिसपर से कभी भी सायद पर्दा नहीं उठ पाएगा ?
आज भी रहस्य है हिटलर के टाइम मशीन का राज – द नाजी वेल टाइम मशीन
द्वतीय विश्व युद्ध के समय माना जाता है कि हिटलर हिन्दू धर्मग्रंथों से प्रभावित होकर वैज्ञानिकों की एक टीम बना राखा था। ये वैज्ञानिक हिन्दू ग्रंथ का अध्यन कर नये-नए प्रयोग करते रहते थे। हिटलर के प्रयोगशाला में एक प्रयोग होता है, जिसका नाम था द नाजी वेल (The Nazi Well Time Machine)। यह प्रयोग समय यात्रा से संबंधित था, क्योंकि हिटलर समय यात्रा में पूरा विश्वास करता था। इस मशीन का आकर पुराण शास्त्र में बताए गए विमानों के तरह था। इस मशीन कि लम्बाई 10 फीट और चौडाई 5 फीट रही होगी और इसकी उपरी परत चीनी मिटटी का था। विशेषज्ञों का मानना था कि यह एक टाइम ट्रेवल मशीन थी। शोधकर्ताओं के अनुसार इस मशीन का परीक्षण किया जा चुका था।
समय यात्रा की रहस्यमयी और वास्तविक घटनाएं
समय यात्रा की यह कहानी साल 2014 की है। साहिल बाजपेयी जो उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। एक दिन साहिल अपनी बाइक से कहीं जा रहे थे, लेकिन रास्ते में उनका एक्सीडेंट हो गया और कोमा में चले गए। साहिल को एक साल बाद फरवरी 2015 में होश आया। लेकिन में होश आने के बाद कुछ भी याद नहीं था और न किसी को पहचान थे। फिर धिरे-धिरे सब याद आने लगा तो उन्होंने जो बताया तो सब हैरान रह गए। साहिल ने बताया कि जब उनका एक्सीडेंट हुआ तो उनके सामने एक अजीब सी रौशनी आयी फिर साल 2036 में चले गए। साहिल ने बताया 2036 तक भारत में क्या-क्या हुआ, उन्होंने बताया साल 2016 में चेन्नई में एक विनाशकारी तूफान आएगा, जो कि सच में ऐसा ही हुआ। फिर साहिल बतातें हैं कि 2024 इंसान मंगल ग्रह पर रहने लायक जगह खोज लेंगे और 2036 तक मंगल ग्रह पर रहने भी लगेंगे। फिर साहिल बतातें हैं कि साल 2026 में भारत और पाकिस्तान के साथ एक भीषण युद्ध होगा और 2026 में ही दक्षिण भारत में एक भीषण विनाशकारी सुनामी आयेगी। फिर साहिल बतातें हैं कि 2036 तक हम उड़ने वाली कार बना लेंगे। तो क्या साहिल बाजपेयी सच में समय यात्रा कर के वापस लोटे थे।
दोस्तों समय यात्रा एक कल्पना ही नहीं बल्कि सच्चाई है । आज हम एक ऐसे कहानी के बारे में बात करेंगे जो खुद को समय यात्री बताता है। इस व्यक्ति का नाम नोवा था।नोवा ने दावा किया है कि यह 2030 से समय यात्रा कर वर्तमान में आया है। नोवा 2030 के कुछ बातें भी बताई, जैसे 2028 तक मन्युप्य मंगल ग्रह पर होंगे। नोवा ने बताय की हम 2030 तक अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इलेक्ट्रिक कार, कैंसर की दवाई और अंतरिक्ष ज्ञान जैसे सपनों को पूरा कर लेगें। उसने बताया इंसान तकनिकी और विज्ञान में बड़ी उपलब्धि हासिल कर लेगा जो भविष्य में इंसान और पृथ्वी के लिए जितना उपयोगी होगा, उतना ही घातक होता जायगा।
बात जून1950 की हैं, न्यूयॉर्क में एक व्यक्ति को सड़क के बीच में खड़ा था, तभी एक पुलिसवाला ने देखा कि व्यक्ति सड़क बीच उलझन अवस्था में खड़ा है। पुलिसवाला जब तक उस व्यक्ति के पास पहुँचता कार ने उसे टक्कर मार दी और वह कार के टक्कर से मर गया। छानबीन के दौरान उस व्यक्ति कुछ चीजे मिली, जो थी पुराने जमाने के थे। छानबीन करने वाले पुलिस ने जाँच में पाया की यह व्यक्ति 1876 गायब हुआ था और जाँच से यह भी पता चला की लापता होने की रिपोर्ट लिखवाई गयी थी। पुलिस ने बताया की इस व्यक्ति का नाम रूडोल्फ फेंटज़ था। हैरानी की बता यह है कि रिपोर्ट में रूडोल्फ फेंटज़ की उम्र लगभग 30 की थी, और जब मारा तब भी लगभग 30 की ही थी। तो क्या रूडोल्फ फेंटज़ समय यात्रा किया था।
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