ब्लैक होल क्या है?
ब्लैक होल अर्थात् कृष्ण विवर यह एक ऐसा रहस्यमय खगोलीय पिण्ड है, जो अपने भीतर असंख्य रहस्ययों को छिपाये हुए है। ब्लैक होल अर्थात् कृष्ण विवर की अनसुलझी और रहस्य दुनियाँ के बारे में जानने के लिए वैज्ञानिक भी हमेश तत्पर रहतें हैं। हमारा अंतरिक्ष अनेक रहस्यमयी वस्तुओं से भरा पड़ा है। इनमें से अनेक वस्तुओं को हम धरती पर से अपनी आंखों से देख सकते हैं। बहुत से दूरस्थ स्थित पिंडों को देखने के लिए हमे शक्तिशाली दूरबीनों की आवश्यकता होती है। लेकिन अनेक ऐसे पिंड भी हमारे इस ब्रह्मांड में मौजूद हैं जिन्हें हम शक्तिशाली दूरबीन की सहायता से भी नहीं देख सकते। इन अदृश्य पिंड़ों की हम केवल उपस्थिति को महसूस ही कर सकते हैं। अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन व्हीलर ने इन अदृश्य मगर भारी भरकम पिंडों को ‘ब्लैक होल’ नाम दिया। ब्लैक होल निश्चित ही वैज्ञानिक समुदाय के साथ साथ आम नागरिकों के मन में भी रहस्य की तरंगें उतपन्न करते हैं। तो आइए आपके मन में हिलोरे ले रही इन जिज्ञासा की तरंगों को शांत करते हैं और जानते हैं हमारे ब्रह्मांड में उपस्थित इन अदृश्य पिंडों के बारे में कुछ और रहस्यमय तथ्य –
- सर्वप्रथम महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने सिद्धांत ‘ थियोरी ऑफ जनरल रिलेटिविटी’ के माध्यम से यह अनुमान लगाया कि हमारे ब्रह्मांड में कुछ ऐसे पिंडों का अस्तित्व हो सकता है जो इतने भारी हो कि जिनके आसपास समय-जगह का वक्र अनन्त हो जाये; अर्थात इनका गुरुत्वाकर्षण बल इतना अधिक हो कि स्वयं प्रकाश भी इनके आकर्षण बल से मुक्त न हो पाए।
- अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन व्हीलर ने इनके अस्तित्त्व को स्वीकार करते हुए इन पिंडों को इनकी अदृश्यता के कारण नाम दिया ‘ब्लैक होल’।
- इन पिंडों का गुरुत्वाकर्षण बल इतना अधिक होता है कि इनके समीप स्थित तारे से उत्सर्जीत प्रकाश भी इनके आकर्षण बल से मुक्त होकर बाहर नहीं निकल पाता, जिस कारण इन्हें देख पाना असम्भव होता है।
कैसे होता है इन विशालकाय मगर अदृश्य ब्लैक होल का निर्माण–
- ब्लैक होल का निर्माण तब होता है जब तारा अपने जीवन की अंतिम अवस्था मे होता है।
- आन्तिम अवस्था में तारे का सारा पदार्थ उसके गुरुत्वाकर्षण बल के कारण एक छोटी सी आकार में सिमट जाता है, जिससे तारे का द्रव्यमान उसकी जीवित अवस्था के द्रव्यमान से कई गुना अधिक हो जाता है।
- अनेक वैज्ञानिक विश्लेषणों से यह ज्ञात हुआ है कि यदि इस शेष केन्द्रक का द्रव्यमान; सम्पूर्ण सूर्य के द्रव्यमान के तीन गुना के बराबर होता है तो इन परिस्थितियों में एक ब्लैक होल का निर्माण होता है।
यदि ब्लैक होल अदृश्य हैं, तो वैज्ञानिकों को इनके अस्तित्व का ज्ञान कैसे हुआ–
- एक ब्लैक होल को दृश्य विकिरण में देखना असम्भव होता है; क्योंकि स्वयं प्रकाश भी उसके गुरुत्वाकर्षण बल से छूट कर बाहर नहीं आ पाता। लेकिन वैज्ञानिक इसके समीप स्थित तारे अथवा गैस के बादलों का अध्ययन कर इसकी उपस्थिति का अनुमान लगाते हैंएक बहुत अधिक गुरुत्वाकर्षण धारण किये हुए पिंड की उपस्थिति के कारण; समीप स्थित तारे से उत्सर्जित प्रकाश असामान्य रूप से ब्लैक होल की ओर विचलित होता है। प्रकाश अथवा गैस के बादलों के इस असामान्य व्यवहार से वैज्ञानिक ब्लैक होल की स्थिति का अनुमान लगा पाते हैं।
- हमारे ब्रह्मांड में अनेक विशालकाय ब्लैक होल हैं। एक विशालकाय ब्लैक होल का द्रव्यमान लगभग 10 लाख सूर्यों के द्रव्यमान के बराबर होता है।
- लगभग सभी आकाशगंगाओं के मध्य में एक विशालकाय ब्लैक होल होता है।
- हमारी आकाशगंगा के मध्य में ‘सेगीटेरिअस A’ नाम का विशालकाय ब्लैक होल उपस्थित है जिसका द्रव्यमान लगभग 40 लाख सूर्य के द्रव्यमान के बराबर है।
- हमारी आकाशगंगा में लगभग 10 लाख-1करोड ब्लैक होल उपस्थित है।
- हर तारा अपनी अंतिम अवस्था मे ब्लैक होल का निर्माण नहीं करता है। हमारा सूर्य तब ही ब्लैक होल का निर्माण करेगा यदि उसका सम्पूर्ण द्रव्यमान 3 किलोमीटर से कम व्यास की परिधि में सीमित कर दिया जाए।
- यदि हमारी सम्पूर्ण पृथ्वी का द्रव्यमान लगभग एक अखरोट के समान जगह में सीमित कर दिया जाए तो हमारी पृथ्वी एक ब्लैक होल में परिवर्तीत हो जाएगी।
- वर्ष 2019 में नासा ने इवेंट होराइजन टेलिस्कोप के माध्यम से 55 लाख प्रकाश वर्ष दूर स्थित आकाशगंगा एम 87 के केंद्र में उपस्थित एक विशालकाय ब्लैक होल की तस्वीर खींचने में सफलता प्राप्त की है।जो हम नासा के विशेष सौजन्य से आपके लिए लाए हैं।
- नासा द्वारा किसी भी ब्लैक होल की पहली बार ली गयी तस्वीर से वैज्ञानिक समुदाय एवं शोधार्थी काफी उत्साहित हैं। हमें उम्मीद है कि आने वाले समय में हमारे सामने इस अदृश्य रहस्य के सारे रहस्य स्पष्ट हो जाएंगे और हम ब्लैक होल की एक स्पष्ट छवि देख पाएंगे।
हम आशा करते हैं कि ब्लैक होल के ये रहस्मय तथ्य आपके मन की तरंगों को स्पंदित करेंगे। और आपको और अधिक जिज्ञासु बनाएंगे।
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