सोचो क्या हो अगर पृथ्वी गोल न होकर चपटी होती?


सोचो क्या हो अगर पृथ्वी गोल न होकर चपटी होती?

क्या हो अगर पृथ्वी को चपटा बताने वालों की कल्पना सच हो, और धरती सच में चपटी हो? पृथ्वी पर ग्रैविटी कैसे काम करेगी? क्या तब भी पृथ्वी की टाइम ज़ोन अलग-अलग होंगे? क्या तब भी पृथ्वी के मौसम बदलेंगे? क्या तब भी हम लोग पृथ्वी पर को ज़िंदा रह पायेंगे?

पहले धरती का शेप किसी को पता नहीं था। कोई रोटी सी चपटी कहता कोई चौकोर कहता था लेक़िन वास्तविकता यह हैं कि पृथ्वी न तो चपटी और न चकोर- पृथ्वी गोल हैं। बिल्कुल संतरे की आकार कि, इस बात की पुष्टि सोवियत संघ (वर्तमान में रूस) के वैज्ञानिक द्वारा स्पुतनिक-1 (sputnik-1) -जिसका शाब्दिक अर्थ है “यात्री का साथी”, नामक उपग्रह जो पृथ्वी की सर्वप्रथम मानव निर्मित उपग्रह था, जो 1957 में परीक्षण किया तो इसने पृथ्वी का पूरा चक्कर काट लिया। इसके बाद पृथ्वी को लेकर सभी भ्रांतियां व प्रश्नों पर विराम लग गए।

बहुत सारे लोग मानते हैं कि धरती गोले की तरह न होकर चपटी है। और सिर्फ मानते ही नहीं, इस बारे में सबूत और तर्क भी देते हैं। यही नहीं, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में फ्लैट अर्थ सोसायटी भी है। लाखाें लोग इसके सदस्य हैं, जो मानते हैं कि धरती को गोलाकार बताना नासा और सरकारों की साजिश है। ऐसे ही एक शख्स हैं एरिक डुबाय 34 साल के एरिक अमेरिकी हैं, एरिक की एक किताब काफी पॉपुलर है- द अटलांटियन कॉन्सपिरेसी : 200 प्रूफ्स द वर्ल्ड इज नॉट अ स्पिनिंग बॉल। जिनमें वो 200 ऐसे तथ्यों का ज़िक्र करते हैं जिसके तहत वो ये साबित करना चाहते है कि पृथ्वी गोल नही अपितु चपटी हैं।

सोचो क्या हो अगर पृथ्वी गोल न होकर चपटी होती?

जैसा की आप सभी जानते हैं न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत के अनुसार इंसान का जीवन पृथ्वी पर तभी संभव हैं जबतक गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत कार्य करता हैं यदि पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण बल कार्य नही करता तो पेड़-पौधे, जीव-जंतु तथा मानव सभी नष्ट हो जाते। अप्रत्याशित रूप से तीव्र गति से घुमाए बग़ैर धरती को चपटी रखना अकल्पनीय है. अगर ऐसा हुआ तो चंद घंटों के भीतर गुरुत्वाकर्षण वापस इसे गोल आकार में तब्दील कर देगा. गुरुत्वाकर्षण हर दिशा में बराबर खिंचाव रखता है. ग्रहों के गोल आकार के पीछे यही सबसे बड़ी वजह है. इस गुरुत्वाकर्षण की काट एक ही हो सकती है और वो इसके घूमने की तीव्र गति. मैक्सवेल ने अपने सिद्धांत में बताया था कि पृथ्वी के मौजूदा गुरुत्वाकर्षण को देखते हुए इसका चपटा होना नामुमकिन है.

जेम्स क्लार्क मैक्सवेल जो एक विख्यात गणितज्ञ व भौतिक वैज्ञानिक थे उन्होंने शनि ग्रह के छल्लों का अध्ययन करने के दौरान ये सिद्धांत दिया था. उनके मुताबिक़ शनि के छल्ले में अलग-अलग असंख्य पिंड मौजूद हैं. उन्होंने इस दौरान ये भी कहा था कि ग्रहों के आकार का कोई भी पिंड आकाशगंगा में डिस्क (ऐसा सतह जो चपटी के साथ गोल हो) चपटी की शक्ल में मौजूद नहीं हो सकता।

सोचो क्या हो अगर पृथ्वी गोल न होकर चपटी होती?

यदि हम इस गुरुत्वाकर्ण को शून्य मान लें, मान ले कि धरती पर गुरुत्वाकर्षण कार्य ही नही करता तो धरती पर मौजूदा जन-जीवन की पूरी अवधारणा ही तहस-नहस हो जाएगी. वायुमंडल का क्या होगा? वो पल भर में ख़त्म हो जाएगा क्योंकि गुरुत्वाकर्षण की बदौलत ही पृथ्वी के चारों तरफ़ इसकी मोटी परत बनी हुई है। समंदर के ज्वार-भाटे का क्या होगा? वो भी पलक झपकते ही गायब हो जाएंगे क्योंकि चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के कारण समंदर पर ज्वार-भाटे बनते हैं. ख़ुद चंद्रमा का क्या होगा? वो भी विलुप्त हो जाएगा क्योंकि अब तक के सारे सिद्धांत बताते हैं कि गुरुत्वाकर्षण के चलते ही चंद्रमा अपनी मौजूदा जगह पर मौजूद है। वैज्ञानिकों का ये भी मानना है कि पृथ्वी की परतदार अंदरूनी बनावट के लिए भी गुरुत्वाकर्षण ही ज़िम्मेदार है।

फ़िर भी यदि पृथ्वी चपटी होती तो इसके टैक्टोनिक प्लेट भी काम नहीं करता। वैज्ञानिकों का मानना है कि दो प्लेट यदि अलग-अलग स्तर पर गतिशील हो तो ऐसा गोलाई में ही सम्भव है। इसलिए यह धारणा की पृथ्वी चपटी है पूर्णतः तथ्यविहीन हैं इसलिए यदि आपके भी मस्तिष्क में कोई ऐसी धारणा हैं कि पृथ्वी चपटी हैं तो उसे अभी दूर कर लीजिए क्योंकि पृथ्वी चपटी नही अपितु गोल हैं।


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