क्या हो अगर हम धरती के बीचोंबीच केंद्र से गुजरती हुई एक सुरंग बना दें एवं उसमें छलांग लगा दें
दोस्तों क्या आपके मन ने कल्पनाओं की उड़ान भरते हुए कभी सोचा हैं कि क्या हो अगर हम हमारी धरती में इस पार से दूसरी तरफ तक एक खड्ड खोद दें, अथवा यदि हम धरती के बीचोंबीच से इस पार से उस पार तक एक सुरंग बना दें और अगर उसमें छलांग लगा दें तो क्या हम इस सुरंग से होते हुए धरती के दूसरे छोर तक पहुंच जाएंगे?
क्या यह सम्भव है?
हम में से बहुत से लोगों के मन में भौतिकी की कक्षा में बैठे-बैठे यह प्रश्न ज़रूर आया होगा।वैज्ञानिकों ने इस प्रश्न का उत्तर जानने एवं धरती की आंतरिक संरचना को बेहतर तरीके से जानने के लिए धरती के भीतर, गहराई तक खोदने का प्रयास भी किया है लेकिन दुर्भाग्य से वे कुछ किलोमीटर की गहराई तक ही खोद पाएँ हैं। इसका एक प्रमुख कारण यह है कि हम जैसे-जैसे पृथ्वी में गहराई तक जाते हैं तापमान मेंवृद्धी होती है जिस कारण से वैज्ञानिकों को अनेक चुनातियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही हमारी इस धरती का व्यास 12800 किलोमीटर है। व्यवहारिक रूप से देखा जाए तो धरती के केंद्र से होकर इस पार से उस पार तक एक इतना बढा खड्डा खोदना अपने आप में एक असम्भव कार्य है।
क्या है इसका सैद्धांतिक उत्तर
हालांकि व्यवहारिक रूप से देखा जाए तो धरती के भीतर इस तरह का गड्ड बनाना अपने आप में असम्भव है। लेकिन अनेक प्रतियोगी परीक्षाओं विशेषकर इंटरव्यू में प्रतिभागी को इस तरह के प्रश्नों का सामना करना पड़ता है।
सैद्धांतिक रूप से देखा जाए तो अगर हम धरती के केंद्र से गुजरते हुए एक विशाल खड्ड अथवा सुरंग का निर्माण कर दें और उसमें छलांग लगा दें तो हम बडी ही तेजी से धरती के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण धरती के केंद्र की ओर गिरते चले जाएंगे। केंद्र तक पहुँचते पहुँचते हम इतना वेग प्राप्त कर लेंगे जिससे कि हम पृथ्वी द्वारा हम पर लगाए जाने वाले गुरुत्वाकर्षण बल को तोड़ देंगे एवं केंद्र से धरातल की ओर दूसरी दिशा में पुनः बड़ी ही तेजी से धरातल की ओर बढ़ने लगेंगे।
क्या इस यात्रा के दौरान हम उस सुरंग के विपरीत छोर तक पहुंच जाएंगे?
दोस्तों यही हमारी इस काल्पनिक मगर रोमांचक यात्रा का सबसे रोचक प्रश्न है, कि क्या हम सुरंग के विपरीत छोर पर स्थित किसी देश के धरातल पर अपने पैर रख सकेंगे?
तो इसका उत्तर है नहीं। क्योंकि विपरीत दिशा में धरातल की ओर यात्रा के दौरान हम जैसे जैसे धरातल की ओर बढ़ेंगे वैसे वैसे हमारा वेग कम होता जाएगा तथा धरती के केंद्र द्वारा हमारे ऊपर लगाए जाने वाले गुरुत्वाकर्षण बल का मान बढ़ता जाएगा जिसके परिणामस्वरूप सुरंग के दूसरे छोर तक पहुंचने के ठीक पहले गुरुत्वाकर्षण बल का मान सर्वाधिक हो जाएगा। जिससे हम पुनः से केंद्र की ओर बड़ी ही तेजी से गिरने लगेंगे और पुनः सुरंग के इस छोर तक पहुंच जाएंगे। सुरंग के इस छोर पर एक बार फिर से गुरुत्व का मान सर्वाधिक हो जाएगा जिससे एक बार फिर हम केंद्र की ओर गिरते चले जाएंगे। और सुरंग के भीतर इस छोर से उस छोर तक कि हमारी यह यात्रा अनन्त काल तक ऐसे ही चलती रहेगी।
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