अगम कुआँ : अमृत का कुआँ या फिर धरती के नरक का खूनी कुआँ


अगम कुआँ

पटना के रहस्यमयी अगम कुआँ जो अपने अंदर समाये है कई बड़े-बड़े राज। इसी कुआँ में दफन है अशोक के 99 भाइयों के लाशें और दफन है सम्राट अशोक का गुप्त खजाना! रहस्यमयी कुआँ का पानी कभी नहीं सूखता!

प्राचीन भारत में निर्मित लगभग सभी आज भी रहस्यमय ही है। हमारे पूर्वज किसी भी चिज का निर्माण किस उद्देश्य से किये थे यह आज भी अनसुलझा ही है।  एक कुआँ जिसकी इतिहास काफी ही रहस्यमयी है। बिहार के पटना में एक प्राचीन कुँआ है अगम कुआँ जिसका निर्माण सम्राट अशोक के काल में हुआ था।

कुआँ 105 फीट गहरी, व्यास 15 फीट है। कुएं के ऊपर के आधे हिस्से 44 फीट तक ईंट से घिरा हुआ है, जबकि जबकि निचे के 61 फीट लकड़ी के छल्ले की एक श्रृंखला द्वारा सुरक्षित किया गया है। इस कुआँ का जलस्तर न कभी घटता है और न ही बढ़ता है। इस कुआँ के रहस्य जानने की तीन कोशिश की गई थी।

सबसे पहले 1932 में, फिर 1962 में और फिर तीसरी बार 1995 में की गई थी। इस कुआँ का पानी का रंग भी बदलता रहता है। आगम कुआँ का निर्माण सम्राट अशोक द्वारा करवाया गया था, लेकिन इसका निर्माण का मुख्य उद्देश्य आज भी रहस्य है। इस कुएं से जुड़ी अनेक प्राचीन कहानियाँ हैं।

प्राचीन कहानियों की मानें सम्राट अशोक ने इसे दोषियों को सजा देने के लिए बनवाया था। जानकारों के अनुसार अशोक ने अपने सभी 99 सौतेले भाइयों का मार कर इसी अगम कुआँ में में डलवा दिया था। मौर्य साम्राज्य के सिंहासन को पाने के लिए अशोक ने अपने विरोधियों का भी सिर काट कर अगम कुआँ में डाल दिया।

अगम कुआँ

5 वीं और 7 वीं शताब्दी की चीनी दार्शनिकों पनी किताबों में इस कुएं का जिक्र धरती पर नरक के रूप में किया था। इसके अलावा एक औैर कहानी है कि सम्राट अशोक ने का गुप्त खजाना इसी कुंए में छिपा हुआ है।अगम का अर्थ है पाताल, इसलिए इसे अगम कुआँ कहा जाता है। इस कुआँ के अंदर श्रंखलाबद्ध तरीके से 9 छोटे कुएं हैं, और जानकारों की माने तो किसी एक कुआँ में एक गुप्त तहखाना है जहाँ सम्राट अशोक का खजाना मौजूद है। हला की इन कहानियों का आज तक कोई भी प्रमाण नहीं मिला है।

अगम कुआँ के बारे में एक प्राचीन मान्यता है कि एक जैन भिक्षु सुदर्शन को राजा चांद ने इसी कुआँ फिंकवा दिया था, लेकिन जैन भिक्षु सुदर्शन कमल पर बैठे तैरते पाए गए। हिंदू लोग इस कुआँ को धार्मिक कामों के लिए शुभ मानतें हैं।

कहा जाता है कि अगम कुआँ का अंतिम छोर गंगासागर से जुड़ा है। इसके पीछे एक कहानी बताई जाती है कि एक बार किसी अंग्रेज की छड़ी गंगा सागर में गिर गई थी, जो बाद में छड़ी इस कुएं में तैरती पाई गई थी। छड़ी को निकाली गई और कोलकाता के एक म्यूजियम में रखी गई है। इसलिए यह कुआँ कभी नहीं सूखता है। इस रहस्यमयी कुआँ की खोज ब्रिटिश खोजकर्ता लॉरेंस वेडेल ने की थी।

माँ शीतला देवी

अगम कुआँ का अपना एक धार्मिक महत्व भी है। कुआँ के पास माँ शीतला देवी का मंदिर भी स्थापित है। हिन्द धार्मिक मान्यता के अनुसार कुआँ की पूजा के बाद ही माँ शीतला देवी की पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार यह कुआँ गंगासागर से जुड़ा है, इसलिए माँ गंगा की तरह कुआँ की पूजा की जाती है और इसी कुआँ की जल का प्रयोग माँ शीतला देवी की पूजा में की जाती है। चेचक और चिकन पॉक्स के इलाज के लिए मंदिर को व्यापक रूप से माना जाता है।मान्यता है कि संतान की प्राप्ति, चेचक और चिकन पॉक्स के लिए मंदिर में खास तौर से पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस कुआँ का पानी शरीर के कई रोग को दूर करता है।


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